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स्वतंत्रता दिवस पर कविता - poems on independence day in Hindi

भारत के स्वतंत्रता दिवस पर कविता

15 अगस्त के उपलक्ष्य में कविता



15 अगस्त 1947 को हो गए थे आजाद हम,



आजादी के 69 साल बाद भी क्य 



समझ पाए आजादी का मतलब हम,



पहले ब्रिटिश शासन के तहत,



जकड़े थे गुलामी के बेड़ियों में,



आज संविधान लागू होने के बाद भी,



जाति-पाति के कारण हो गए हैं,



अपने ही देश में गुलाम हम,



पहले रंग-भेद के जरिए गोरों ने हमको बाँटा था,



आज हमारे अपनो ने ही,



बाँट दिए जातिवाद और धर्मवाद के नाम पर हम,



जो भारत पहचान था कभी,



एकता, अखण्डता और विविधता का,



वो भारत ही झेल रहा है दंश अब आन्तरिक खंडता का,



बाँधा था जिन महान देशभक्त नेताओं ने,



अपने बलिदानों से एकता के सूत्र में हमें,



अपने ही कर्मों से अब उनकी आत्माओं को,



दे रहे हैं लगातार त्राश हम,



जातिवाद, आरक्षण और धर्मवाद ने,



बुद्धि हमारी को भ्रमाया है,



राजनेताओं ने अपने हित की खातिर,



हमको आपस में लड़वाया है,



बहुत हुआ सर्वनाश अपना,



कुछ तो खुद को समझाओं अब,



देश पर हुए शहीदों की खातिर,



समझो आजादी का मतलब अब।।



जय हिन्द, जय भारत।..

..........................NaresH NaGaR 



15 अगस्त का दिन है आया:







15 अगस्त का दिन है आया,



लाल किले पर तिरंगा है फहराना,



ये शुभ दिन है हम भारतीयों के जीवन का,



सन् 1947 में इस दिन के महान अवसर पर,



वतन हमारा आजाद हुआ था,



न जाने कितने अमर देशभक्त शहीदों के बलिदानों पर न जाने कितने वीरों की कुर्बानियों के बाद,



हमने आजादी को पाया था,



भारत माता की आजादी की खातिर,



वीरों ने अपना सर्वश लुटाया था,



उनके बलिदानों की खातिर ही,



दिलानी है भारत को नई पहचान अब,



विकास की राह पर कदमों को,



बस अब यूं-ही बढ़ाते हैं जाना,



खुद को बनाकर एक विकसित राष्ट्र,



एक नया इतिहास है बनाना,



जाति-पाति, ऊँच-नीच के भेदभाव को है मिटाना,



हर भारतवासी को अब अखंडता का पाठ है सिखाना,



वीर शहीदों की कुर्बानियों को अब व्यर्थ नहीं है गवाना,



राष्ट्र का बनाकर उज्ज्वल भविष्य अब,



भारतीयों को आजादी अर्थ है समझाना।।




.........................................जय हिन्द, जय भारत।Naresh Nagar



15 अगस्त का दिन है आया:






15 अगस्त का दिन है आया,



लाल किले पर तिरंगा है फहराना,



ये शुभ दिन है हम भारतीयों के जीवन का,



सन् 1947 में इस दिन के महान अवसर पर,



वतन हमारा आजाद हुआ था,




न जाने कितने अमर देशभक्त शहीदों के बलिदानों पर,



न जाने कितने वीरों की कुर्बानियों के बाद,

हमने आजादी को पाया था,

भारत माता की आजादी की खातिर,

वीरों ने अपना सर्वश लुटाया था,

उनके बलिदानों की खातिर ही,

दिलानी है भारत को नई पहचान अब,

विकास की राह पर कदमों को,

बस अब यूं-ही बढ़ाते हैं जाना,

खुद को बनाकर एक विकसित राष्ट्र,

एक नया इतिहास है बनाना,

जाति-पाति, ऊँच-नीच के भेदभाव को है मिटाना,

हर भारतवासी को अब अखंडता का पाठ है सिखाना,

वीर शहीदों की कुर्बानियों को अब व्यर्थ नहीं है गवाना,

राष्ट्र का बनाकर उज्ज्वल भविष्य अब,

भारतीयों को आजादी अर्थ है समझाना।।

.........................................जय हिन्द, जय भारत।



स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है:

स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है,
विजयी-विश्व का गान अमर है।
देश-हित सबसे पहले है,
बाकि सबका राग अलग है।
स्वतंत्रता दिवस का............................।
आजादी के पावन अवसर पर,
लाल किले पर तिरंगा फहराना है।
श्रद्धांजलि अर्पण कर अमर ज्योति पर,
देश के शहीदों को नमन करना है।
देश के उज्ज्वल भविष्य की खातिर,
अब बस आगे बढ़ना है।
पूरे विश्व में भारत की शक्ति का,
नया परचम फहराना है।
अपने स्वार्थ को पीछे छोड़ककर,
राष्ट्रहित के लिए लड़ना है।
बात करे जो भेदभाव की,
उसको सबक सिखाना है।
स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है,
विजयी विश्व का गान अमर है।
देश हित सबसे पहले है,
बाकी सबका राग अलग है।।
..............................जय हिन्द जय भारत।
...............................................................
Naresh Nagar 
बच्चो के लिए स्वतंत्रता दिवस पर कविता:



हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,

आजादी का मतलब नहीं है समझते।

इस दिन पर स्कूल में तिरंगा है फहराते,

गाकर अपना राष्ट्रगान फिर हम,

तिरंगे का सम्मान है करते,

कुछ देशभक्ति की झांकियों से

दर्शकों को मोहित है करते

हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,

आजादी का अर्थ सिर्फ यही है समझते।

वक्ता अपने भाषणों में,

न जाने क्या-क्या है कहते,

उनके अन्तिम शब्दों पर,

बस हम तो ताली है बजाते।

हम नन्हें-मुन्ने है बच्चे,

आजादी का अर्थ सिर्फ इतना ही है समझते।

विद्यालय में सभा की समाप्ति पर,

गुलदाना है बाँटा जाता,

भारत माता की जय के साथ,

स्कूल का अवकाश है हो जाता,

शिक्षकों का डाँट का डर,

इस दिन न हमको है सताता,

छुट्टी के बाद पतंगबाजी का,

लुफ्त बहुत ही है आता,

हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,

बस इतना ही है समझते,

आजादी के अवसर पर हम,

खुल कर बहुत ही मस्ती है करते।।

................................................भारत माता की जय।
Naresh Nagar 

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